मनीष असमर्थ Quotes
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आंतरिक हीनता से गूंजती मन की टंकारे
• मेरी नकारात्मकता और मेरी शून्यता, ही मेरी असमर्थता है! जीवन का यह गणित शून्य और नकारात्मक अंक के बिना अधूरा है। ~ मनीष कुमार 'असमर्थ'
• मैं पर्वत-सा तुम गिरते जलस्तर-सी दूर निकलते ही जा रहे हो! मैं जानता हूं एक दिन मानसून बन आओगे और अपरिचितों की तरह टकराते हुए बरस पड़ोगे मुझपे...! ~ मनीष कुमार 'असमर्थ'
•कुछ लोग पत्तियों में चिपके जलबिंदुओं की तरह होते हैं हवा का एक झोंका आता है और सब कुछ तितर बितर कर देता है। ~मनीष कुमार 'असमर्थ'
•आंसु रोने वाले से कहता है , - "तुम्हारे गाल को छूते हुए तुम्हारे नजरों से गिर जाने का इंतज़ार मैंने वर्षों से किया है।" ~मनीष कुमार 'असमर्थ' ।
• मेरी ईमानदारी पे तुम्हें विश्वास न हो तो, मेरी टुकड़े टुकड़े कर डालो, देखना मेरे खून के धब्बे तुम्हारे लिबास में जिन्दगी भर चिपके मिलेंगे। ~ मनीष कुमार "असमर्थ"
• तुम्हारी जुल्फों पे गज़ल लिख तो देते, लेकिन तुम्हारे फ़रेबी नुस्खों ने मेरे दिल की तरह तुम्हारे बालों को भी टूटने की बीमारी लगा दिया है। ~ मनीष कुमार "असमर्थ"
• नरक अच्छे लोगों को पास बुलाने की कोशिश करता है। भला! अच्छे लोगों से कौन नजदीकियां बनाना नहीं चाहेगा यहां। ~ मनीष कुमार "असमर्थ"
• सुरज तू इतना क्यों जलता है.. यार? थोड़ा कम जला कर मैं डरता रहता हूं उस बांस के जंगल से। ~ मनीष कुमार "असमर्थ"
• मैं बत्ती हूं और तुम श्यामपट.... देखता हूं कब तक घिसटता रहता हूं। ~ मनीष कुमार "असमर्थ"
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